मंत्रालय: 
विधि एवं न्याय
  • मुख्य चुनाव आयुक्त और अन्य चुनाव आयुक्त (नियुक्ति, सेवा शर्तें और कार्यावधि) बिल, 2023 को राज्यसभा में 10 अगस्त, 2023 को पेश किया गया। यह बिल निर्वाचन आयोग (चुनाव आयुक्तों की सेवा शर्तें और कार्य संचालन) एक्ट, 1991 को निरस्त करता है।

  • चुनाव आयोगसंविधान के अनुच्छेद 324 के अनुसारचुनाव आयोग में मुख्य चुनाव आयुक्त (सीईसी) और उतने ही अन्य चुनाव आयुक्त (ईसी) होते हैंजितने राष्ट्रपति तय करें। सीईसी और अन्य ईसी की नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा की जाती है। बिल चुनाव आयोग की समान संरचना को निर्दिष्ट करता है। इसमें कहा गया है कि सीईसी और अन्य ईसी की नियुक्ति चयन समिति के सुझावों पर राष्ट्रपति द्वारा की जाएगी।

  • चयन समिति (सिलेक्शन कमिटी): चयन समिति में निम्नलिखित शामिल होंगे: (i) अध्यक्ष के रूप में प्रधानमंत्री, (ii) सदस्य के रूप में लोकसभा में विपक्ष के नेता, और (iii) प्रधानमंत्री द्वारा सदस्य के रूप में नामित एक केंद्रीय कैबिनेट मंत्री। अगर लोकसभा में विपक्ष के नेता को मान्यता नहीं दी गई है तो लोकसभा में सबसे बड़े विपक्षी दल का नेता इस भूमिका में होगा।

  • खोजबीन समिति (सर्च कमिटी)चयन समिति पर विचार करने के लिए खोजबीन समिति पांच व्यक्तियों का एक पैनल तैयार करेगी। खोजबीन समिति की अध्यक्षता कैबिनेट सचिव करेंगे। इसमें दो अन्य सदस्य होंगे जो केंद्र सरकार के सचिव स्तर से नीचे के नहीं होंगे। उनके पास चुनाव से संबंधित मामलों का ज्ञान और अनुभव होना चाहिए। चयन समिति उन उम्मीदवारों पर भी विचार कर सकती है जिन्हें खोजबीन समिति द्वारा तैयार पैनल में शामिल नहीं किया गया है।

  • सीईसी और ईसी की क्वालिफिकेशनजो व्यक्ति केंद्र सरकार के सचिव के पद के बराबर पद पर हैं या ऐसे पद पर रह चुके हैं, वे सीईसी और ईसी के रूप में नियुक्त होने के पात्र होंगे। ऐसे व्यक्तियों के पास चुनाव प्रबंधन और संचालन में विशेषज्ञता होनी चाहिए।

  • वेतन और भत्ते1991 के एक्ट में प्रावधान है कि ईसी का वेतन सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश के बराबर होगा। बिल में प्रावधान है कि सीईसी और अन्य ईसी का वेतन, भत्ते और सेवा शर्तें कैबिनेट सचिव के समान होंगी।

  • कार्यावधि1991 का एक्ट कहता है कि सीईसी और अन्य ईसी छह वर्ष की अवधि के लिए या 65 वर्ष की आयु तक, जो भी पहले हो, पद पर बने रहेंगे। अगर किसी ईसी को सीईसी नियुक्त किया जाता है तो उसका कुल कार्यकाल छह वर्ष से अधिक नहीं हो सकता। बिल उसी कार्यकाल को बरकरार रखता है। इसके अलावा बिल के तहत सीईसी और अन्य ईसी पुनर्नियुक्ति के लिए पात्र नहीं होंगे।

  • कार्य संचालनचुनाव आयोग के सभी कार्यों को सर्वसम्मति से संचालित किया जाएगा। किसी भी मामले पर सीईसी और अन्य ईसी के बीच मतभेद की स्थिति में उसका निर्णय बहुमत के माध्यम से किया जाएगा।

  • पद से हटाना और त्यागपत्र: संविधान के अनुच्छेद 324 के तहत सीईसी को केवल सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश के समान तरीके से ही उसके कार्यालय से हटाया जा सकता है। यह राष्ट्रपति के एक आदेश के माध्यम से किया जाता है जो एक ही सत्र में संसद के दोनों सदनों द्वारा पारित प्रस्ताव पर आधारित होता है। सीईसी को पद से हटाए जाने के प्रस्ताव को निम्नलिखित के साथ अपनाया जाना चाहिए: (i) प्रत्येक सदन की कुल सदस्यता का बहुमत समर्थन और (ii) उपस्थित और मतदान करने वाले सदस्यों का कम से कम दो-तिहाई समर्थन। किसी ईसी को केवल सीईसी के सुझावों पर ही पद से हटाया जा सकता है। बिल इस प्रक्रिया को बरकरार रखता है।

  • साथ ही, 1991 के एक्ट में प्रावधान है कि सीईसी और अन्य ईसी राष्ट्रपति को अपना त्यागपत्र सौंप सकते हैं। बिल में भी यही प्रावधान है।

 

अस्वीकरणः प्रस्तुत रिपोर्ट आपके समक्ष सूचना प्रदान करने के लिए प्रस्तुत की गई है। पीआरएस लेजिसलेटिव रिसर्च (पीआरएस) के नाम उल्लेख के साथ इस रिपोर्ट का पूर्ण रूपेण या आंशिक रूप से गैर व्यावसायिक उद्देश्य के लिए पुनःप्रयोग या पुनर्वितरण किया जा सकता है। रिपोर्ट में प्रस्तुत विचार के लिए अंततः लेखक या लेखिका उत्तरदायी हैं। यद्यपि पीआरएस विश्वसनीय और व्यापक सूचना का प्रयोग करने का हर संभव प्रयास करता है किंतु पीआरएस दावा नहीं करता कि प्रस्तुत रिपोर्ट की सामग्री सही या पूर्ण है। पीआरएस एक स्वतंत्र, अलाभकारी समूह है। रिपोर्ट को इसे प्राप्त करने वाले व्यक्तियों के उद्देश्यों अथवा विचारों से निरपेक्ष होकर तैयार किया गया है। यह सारांश मूल रूप से अंग्रेजी में तैयार किया गया था। हिंदी रूपांतरण में किसी भी प्रकार की अस्पष्टता की स्थिति में अंग्रेजी के मूल सारांश से इसकी पुष्टि की जा सकती है।